ग़र एक तस्वीर... देखकर, आपका मन किसी के लिए... सैकड़ों या हजारों शब्द
लिखने का करे या फिर एक पूरी किताब लिख देने के लिए... आपके हाथ कलम और
पन्ने खोजने लगे, तो ये सोचिये... कि उस चेहरे को हकीक़त में देख लेंगें तो
कितने उपन्यास छाप डालेंगे? लेकिन सच इस से अलग होता है, लिखने का मन होता
है, पर आप मुश्किल से दस या बीस ही शब्द ढूँढ पाते है| इसमें आपकी दक्षता
या क्षमता पर सवाल नही उठता... बस... आपको इतना मान लेना होगा, कि जिसके
बारे में आप लिखना चाहते है, उसे शब्दों में बयां नही किया जा सकता| उसके
लिए शब्द मिलते ही नहीं हैं........
रात से काली जुल्फ़े... तेरी है, नजरों में जैसे एक दुनिया बसी है...
आँसू भी हँस दे, मिलकर तुझसे... इतनी प्यारी तेरी हँसी है....
आँसू भी हँस दे, मिलकर तुझसे... इतनी प्यारी तेरी हँसी है....
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