ये जो इतवार बीता,
कुछ ऐसे यार बीता...
कि कुछ थकान सी है |
न चले हम, न गिरे हम,
ज़िन्दगी में ढलान सी है |
हवा थमी सी थी,
नैन सूखे थे, पर
गालोँ पर नमी सी थी,
वो इक़ पल जाने क्यूँ
बार-बार बीता ?
ये जो इतवार बीता,
कुछ ऐसे यार बीता...
मनीष
कुछ ऐसे यार बीता...
कि कुछ थकान सी है |
न चले हम, न गिरे हम,
ज़िन्दगी में ढलान सी है |
हवा थमी सी थी,
नैन सूखे थे, पर
गालोँ पर नमी सी थी,
वो इक़ पल जाने क्यूँ
बार-बार बीता ?
ये जो इतवार बीता,
कुछ ऐसे यार बीता...
मनीष
No comments:
Post a Comment