Tuesday, May 26, 2015

जो बिन दौड़े, हार गये |

बारहवीं की परीक्षा का परिणाम घोषित होने के उपरांत किसी घर में पार्टियाँ हुई होगी, तो कहीं पूरा परिवार खाना छोड़े बैठा रहा होगा | किसी को अपने प्राप्तांको में सुनहरा भविष्य दिखा होगा, तो किसी के भविष्य पर प्रश्नचिह्न लग गया होगा| कुछ दिनों में मीडिया  के माध्यम से सभी कॉलेजों का प्रचार शुरू भी हो जायेगा, कौन से कॉलेज में कौन सी हस्ती पढ़ी हैं? कौन से कॉलेज में क्या खूबियाँ हैं? कौन सा कोर्स किस कॉलेज में पढ़ाया जाता हैं? यहाँ तक छाप देंगें कि कौन सा सिनेमा या शौपिंग मॉल किस कॉलेज के पास हैं ? पर कोई अख़बार ये नहीं छापेगा कि ये कॉलेज कुछ खास लोगों या एक विशेष वर्ग के लिए ही खुले हैं| सभी छात्र, छात्राएं और उनके माता-पिता अब तक ना जाने कौन-कौन से सपने अपनी आँखों सजा चुके होंगे| पर वो ये भूल रहे हैं की दिल्ली यूनिवर्सिटी बस अमीरों की यूनिवर्सिटी है| अगर आपका बच्चा किसी वर्ल्ड स्कूल में पढ़ा है, आपने उसको प्रतिदिन दो या तीन अलग-अलग महंगी कोचिंग दिलाई हैं और इन्ही की तरज पर उसने 90% या 95 % अंक प्राप्त किये हैं दूसरे शब्दों में अगर आप अमीर है तो आप अपने बच्चे को यहाँ पढ़ा सकते हैं, नहीं तो इतना जान लीजिये कि आप उनको उस दौड़ के लिए तैयार कर रहे हैं, जिसमे वो दावेदार ही नहीं हैं| मतलब वे बिन दौड़े ही हार चुके हैं|
मनीष 

1 comment:

  1. ये ही शैक्षिक व्युत्क्रमणता हैं. और ये कोई घट नही रही घटाई जा रही है ताकि बहुतेरे बाहर रहे और कुछ अंदर ।
    जिम्मेदार कोशिश हैं लिखते रहो अपने अनंत तक। बधाई। ब्लॉग की दुनिया में आने के लिए ।

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